कृषि के लिए जलवायु परिवर्तन का संकट
फसल विविधीकरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों’ पर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
Ajeet Singh
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना में रूरल वॉयस और गैर-सरकारी संगठन विलेजनामा के सहयोग से 9 नवंबर को ‘फसल विविधीकरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें शामिल विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन के संकट का सामना करने के लिए खेती में विविधता और टिकाऊ कृषि की आवश्यकता पर जोर दिया। राष्ट्रीय सम्मेलन में कृषि वैज्ञानिकों, नीति-निर्माताओं और विशेषज्ञों के अलावा बड़ी तादाद में पंजाब के विभिन्न जिलों से आए किसान शामिल हुए। सम्मेलन का उद्घाटन पंजाब के मुख्यमंत्री के विशेष मुख्य सचिव वी.के. सिंह ने किया जबकि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सतबीर सिंह गोसल ने सम्मेलन की अध्यक्षता की।
अपने संबोधन में मुख्य अतिथि वी.के. सिंह ने जलवायु परिवर्तन के कारण मानव स्वास्थ्य और कृषि के लिए पैदा हो रहे संकटों पर चिंता व्यक्त की और पंजाब के किसानों के लिए गेहूं-धान चक्र से बाहर निकलने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने खरीफ मक्का के तहत क्षेत्र में कमी और पानी की अधिक खपत करने वाली बसंत कालीन मक्का के तहत क्षेत्र में वृद्धि की ओर संकेत करते हुए कहा कि धान के अलावा इससे भी भूजल पर दबाव बढ़ रहा है। सिंह ने पंजाब में सहकारिता के ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए भी एक समर्पित एजेंसी की जरूरत है। इसके लिए एक डेडिकेटेड एजेंसी बनाई जाएगी।
पीएयू के कुलपति डॉ. सतबीर सिंह गोसल ने जलवायु परिवर्तन के खतरों को रेखांकित करते हुए कहा कि चरम मौसम की घटनाएं आम होती जा रही हैं। इस वर्ष मई-जून में भीषण गर्मी ने रिकॉर्ड तोड़ दिए। अब नवंबर की शुरुआत में भी उतनी ठंड नहीं पड़ रही है, जितनी इन दिनों में पड़नी चाहिए। डॉ. गोसल ने कहा कि पीएयू ने 950 से अधिक फसल किस्में विकसित की हैं और पर्यावरण अनुकूल टिकाऊ खेती के लिए अनुसंधान को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने किसानों को सिर्फ गेहूं व धान की खेती करने के बजाय कपास, मक्का और फल-सब्जियों की खेती के साथ विविधता लाने की आवश्यकता पर बल दिया। ऐसा करना पर्यावरण और आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद हो सकता है। उन्होंने किसानों से बासमती और कपास में पीएयू द्वारा अनुशंसित कीटनाशकों का उपयोग करने का भी आग्रह किया और कृषि वानिकी तथा बागवानी फसलों की मार्केटिंग पर जोर दिया।
भारत कृषक समाज के अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ ने अपने अनुभव साझा करते हुए कृषि नीतियों को कारगर बनाने के लिए गवर्नेंस में सुधार को जरूरी बताया, तभी सरकार पर किसानों का भरोसा बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि देश में पर्याप्त कानून हैं और अगर गवर्नेंस में सुधार आ जाए तो नए कानून बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने पारदर्शिता लाने के लिए ग्राम सभा की बैठकों की वीडियोग्राफी और शासन प्रक्रिया के डिजिटलीकरण का सुझाव दिया।
स्वागत भाषण में, विलेजनामा की सह-संस्थापक डॉ. रश्मि सिन्हा ने भावी पीढ़ियों पर जलवायु संकट के प्रभाव पर प्रकाश डाला तथा भारत में जलवायु से संबंधित आपदाओं में वृद्धि के बारे में चिंताजनक आंकड़े उद्धृत किए। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए सामूहिक कार्रवाई का आह्वान किया।
रूरल वॉयस के एडिटर-इन-चीफ हरवीर सिंह ने सम्मेलन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए ऐसे मंचों के माध्यम से सभी हितधारकों को एक साथ लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि रूरल वॉयस और विलेजनामा द्वारा आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य उस संवाद को बढ़ावा देना है। इससे संभावित उपायों और नीतिगत सुधार से जुड़े मुद्दों पर विभिन्न पक्षों के बीच सहमति के रास्ते खुलेंगे। हरवीर सिंह ने कहा कि रूरल वॉयस और रूरल वर्ल्ड का उद्देश्य किसानों तक उपयोगी सूचनाएं तथ्यपरक ढंग से पहुंचाकर नीति-निर्माण में किसानों की भागीदारी को बढ़ावा देना है।
इस अवसर पर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से एक कृषि प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया, जिसमें पीएयू द्वारा विकसित उन्नत बीज, आधुनिक तकनीक और कृषि पद्धतियों से प्रतिभागियों को रूबरू कराया गया।
सम्मेलन में तीन तकनीकी सत्र शामिल थे। पहला, "फसल विविधीकरण की आवश्यकता" जिसमें फसलों में विविधता लाने के आर्थिक और पारिस्थितिक पहलुओं पर चर्चा की गई। "वैकल्पिक फसलों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती" विषय पर दूसरे सत्र में फूलों की खेती जैसे उभरते क्षेत्रों और ग्रामीण बाजारों में डिजिटल प्लेटफार्मों की क्षमता पर मंथन हुआ। अंतिम सत्र तकनीकी नवाचारों पर ध्यान केंद्रित था, जिसमें कृषि में सेटेलाइट इमेजरी के उपयोग और डेयरी क्षेत्र में उन्नत प्रजनन पर प्रस्तुतियां दी गईं।
पहले तकनीकी सत्र में कृषि अर्थशास्त्री और विलेजनामा की विजिटिंग फेलो डॉ. श्वेता सैनी ने सम्मेलन की थीम के बारे में अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के संकट और पंजाब की कृषि और अर्थव्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर फसल विविधीकरण की जरूरत पर जोर दिया। साथ ही देश के विभिन्न राज्यों में कृषि क्षेत्र में किए जा रहे महत्वपूर्ण कार्यों के उदाहरण भी दिये। पीएयू के पूर्व निदेशक अनुसंधान डॉ. नवतेज सिंह बैंस ने 'पंजाब में फसल विविधीकरण: अर्थशास्त्र बनाम पारिस्थितिकी' पर अपने विचार व्यक्त किए जबकि राष्ट्रीय वर्षा आधारित क्षेत्र प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जे.एस. सामरा ने जलवायु परिवर्तन के कृषि पर असर और संभावित उपायों पर अपना प्रजेंटेशन दिया।
दूसरे तकनीकी सत्र, 'वैकल्पिक फसलों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती' में ग्रीन वैली स्टीविया के चेयरमैन आर.पी.एस. गांधी ने फसल विविधीकरण के नए अवसरों पर एक केस स्टडी प्रस्तुत की। प्रगतिशील किसान और उद्यमी अवतार सिंह ढींडसा ने फूलों की खेती और इससे जुड़े कारोबार के बारे में अपने अनुभव साझा किये। डॉ. स्वामी पेंट्याला ने रूरल मार्केटिंग के क्षेत्र में कृषि-डिजिटल प्लेटफार्मों की भूमिका पर चर्चा की। पीएयू के निदेशक, अनुसंधान डॉ. ए.एस. ढट ने पंजाब में विविधीकरण के लिए व्यवहार्य वैकल्पिक फसलों के बारे में बताया। तीसरे तकनीकी सत्र में, एग्री मैट्रिक्स प्राइवेट लिमिटेड के सह-संस्थापक श्रीधर कोत्रा ने कृषि में सैटेलाइट इमेजरी के बढ़ते उपयोग के बारे में अपनी प्रस्तुति दी। डॉ. दलजीत सिंह गिल ने आधुनिक प्रजनन तकनीकों के माध्यम से डेयरी उद्योग में प्रगति के बारे में बताया। पीएयू के निदेशक (एक्सटेंशन एजुकेशन) डॉ. एम.एस. भुल्लर ने सम्मेलन के प्रमुख बिंदुओं का सारांश प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समन्वयन एसोसिएट डायरेक्टर (इंस्टीट्यूशन रिलेशंस) डॉ. विशाल बेक्टर ने किया। अपने समापन वक्तव्य में डॉ. एम.एस. भुल्लर ने पंजाब में टिकाऊ कृषि अर्थव्यवस्था के लिए फसल विविधीकरण को आवश्यक बताया।
विलेजनामा के संस्थापक और भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पूर्व सीएमडी आलोक सिन्हा ने सम्मेलन में शामिल सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद दिया। उन्होंने नीति निर्माण की प्रक्रिया में किसानों को केंद्र में रखने पर जोर देते हुए कहा कि यह सम्मेलन कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर संवाद शुरू करने की दिशा में पहला कदम है।
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