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पीएम सूर्य घर योजना से 30 मेगावाट बिजली उत्पादन

40 हजार घरों पर पीएम सूर्य घर योजना के तहत रूफ टॉप प्लांट लगाने का लक्ष्य, अब तक साढ़े सात हजार से अधिक घरों पर लग चुका है रूफ टॉप प्लांट

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संजीव कंडवाल

गंगा-यमुना नदियों और टिहरी जैसे बड़े पावर प्रोजेक्ट के कारण, जल विद्युत परियोजनाओं के आदर्श समझे जाने वाले उत्तराखंड राज्य में अब सोलर पावर प्रोजेक्ट, ऊर्जा उत्पादन के साथ ही स्वरोजगार के साधन बनते जा रहे हैं। अकेले ‘पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना' में अब तक उत्तराखंड 30 मेगावॉट बिजली उत्पादन करने लगा है।

उत्तराखंड सरकार ने इस योजना के तहत रूफटॉप सोलर संयंत्र की स्थापना के लिए यूपीसीएल को नोडल इकाई बनाया है। पिछले साल शुरू योजना के बाद अब तक पूरे उत्तराखंड में घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं के घरों पर लगभग 30 मेगावाट क्षमता के कुल 7592 सोलर रूफ टॉप संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं। इसमें उपभोक्ताओं को लगभग 48 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई है। रूफ टॉप संयंत्र लगाने के लिये प्रदेश में 300 से अधिक वेन्डर्स पंजीकृत हैं जिनका विवरण pmsuryaghar.gov.in पर भी उपलब्ध कराया गया है। यूपीसीएल अब तक प्राप्त कुल 1491 शिकायतों को निस्तारित करते हुए, इस लंबित मामले शून्य कर चुका है।

प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए यूपीसीएल योजना के लिए एसओपी जारी करने के साथ ही सोलर आवेदनों के लिए लोड बढ़ाये जाने की ऑनलाइन सुविधा भी प्रदान कर रहा है। यही नहीं, प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत राज्य में आवेदनों के डिस्पोजल रेट के हिसाब से उत्तराखंड देश में पहले नम्बर पर है। आगामी दो-तीन साल में राज्य के सभी शासकीय भवनों में सोलर रूफ टॉप लगाए जाने की तैयारी है।



1.36 लाख रुपये तक की सब्सिडी

योजना के तहत घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिये एक किलोवॉट की क्षमता वाले संयत्र के लिये 50,000 रुपए, 2 किलोवॉट की क्षमता वाले संयंत्र के लिये 1,00,000 रुपए और 3 किलोवॉट की क्षमता वाले संयंत्र के लिये 1,36,800 रुपए तक की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। यूपीसीएल ने उत्तराखंड में घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिये 40 हजार से अधिक सोलर रूफ टॉप संयंत्रों की स्थापना का लक्ष्य रखा है।



उदाहरण-1

टिहरी जिले में देवप्रयाग विकासखंड के रहने वाले प्रताप सिंह रावत का परिवार वर्तमान में तीन सोलर प्रोजेक्ट संचालित कर रहा है। रावत ने 2019 में खुद के नाम 400 किलोवॉट और पत्नी के नाम 200 किलोवॉट के प्लांट के लिए आवेदन किया। इसके बाद वह इसी साल मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के तहत 200 किलोवाट की एक और अन्य परियोजना शुरू कर चुके हैं। इस काम के दम पर अब वे देहरादून से वापस अपने गांव जा चुके हैं। एमबीए पास उनके बेटे भी अब सोलर प्रोजेक्ट की देख-रेख कर रहे हैं।



उदाहरण-2

 

उत्तरकाशी जिले में चिन्यालीसौड़ के पास टिपरी गांव निवासी आमोद पंवार ने सोलर पावर प्रोजेक्ट, खेती-बागवानी के साथ ही मत्स्य और मधुमक्खी पालन का एक सफल स्वरोजगार मॉडल खड़ा किया है। आमोद बताते हैं कि उनके गांव के खेत बंजर हो चुके थे, जंगली जानवरों के चलते भी खेती-बाड़ी लगातार चुनौतीपूर्ण होती जा रही थी। ऐसे में जब उत्तराखंड सरकार सोलर स्वरोजगार योजना लेकर आई तो उन्होंने इसमें तत्काल 200 किलोवाट के लिए आवेदन कर दिया। आमोद बताते हैं कि 2019 में योजना शुरू होने के बाद वो शुरुआती आवेदन करने वाले लोगों में शामिल थे। प्रारंभ में प्रक्रियाओं को पूरी करने में कुछ अड़चनें आईं, लेकिन विभागों के सहयोग से सभी काम समय से पूरे हो गए। इस तरह मार्च 2020 में ठीक कोविड-19 का पहला लॉकडाउन लगने के दिन उनके सोलर प्लांट से जनरेशन शुरू हो गया। एक तरह से दुनिया उस दिन अनिश्चय के भंवर में फंस रही थी, जबकि वो नई उर्जामय शुरुआत कर रहे थे।


संजीव कंडवाल

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