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पशुधन विकास का हरियाणा मॉडल

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'काला सोना’ कही जाने वाली हरियाणा की मुर्राह भैंस और देसी नस्ल की गायों की मांग देश ही नहीं विदेशों तक है। हरियाणा में नस्ल सरंक्षण और सुधार की दिशा में हुए प्रयासों का नतीजा है कि हरियाणा की गाय व भैंस की नस्लें विश्व प्रसिद्ध हो गई हैं। इसका असर प्रदेश में डेयरी उद्योग और प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता पर भी पड़ा है। हरियाणा की प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता 1098 मिली लीटर है, जो देश की प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता 459 मिली लीटर से दोगुनी से भी अधिक है। देश की सिर्फ 2.1 फीसदी गाय-भैंस की आबादी वाले हरियाणा में सालाना 119.66 लाख टन दूध उत्पादन होता है जो देश के कुल 2305.77 लाख टन दूध उत्पादन का करीब 5.19 फीसदी है। प्रदेश की इस उपलब्धि में पशुपालकों, वेटरनरी डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और सरकारी प्रयासों का योगदान है।

  हरियाणा के पशुपालन और डेयरी विभाग के महानिदेशक डॉ. एल.सी. रंगा बताते हैं कि आज देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों तक हरियाणा से सुपीरियर मुर्राह भैंस और देसी नस्ल की गायों के जर्मप्लाज्म (बुल और सीमन) पहुंच रहे हैं। इससे प्रदेश के पशुपालकों को बेहतर नस्ल के पशु मिल पा रहे हैं। विभागीय योजना के तहत उच्च गुणवत्ता वाले पशुओं के बछड़ों को पशुपालकों से खरीदा जाता है और उनका पालन-पोषण कर उनके सीमन को पूरे प्रदेश में उपलब्ध करवाया जाता है, जिससे पशुओं का अनुवांशिक उन्नयन होता है। श्रेष्ठ नस्ल के पशुओं की पहचान के लिए प्रदेश में लगने वाले पशु मेले बहुत महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं। सरकारी प्रोत्साहन और उम्दा नस्ल के पशुओं को मिली पहचान के चलते पशुपालकों में होड़ लगी रहती है। इस तरह नस्ल सुधार पशुपालन विभाग के कार्यक्रम से आगे बढ़कर लोक संस्कृति का हिस्सा बना गया है।

  डॉ. रंगा बताते हैं कि प्रदेश भर से चुनी गई सबसे बेहतरीन मुर्राह भैंसों के कटड़ों को विभाग पशुपालकों से खरीदकर हिसार और भिवानी स्थित मुर्राह बुल रेयरिंग सेंटर भेजता है, जहां उन्हें इलीट ब्रीडिंग बुल के तौर पर तैयार किया जाता है। अच्छी देखभाल और सघन परीक्षणों से गुजरने के बाद श्रेष्ठ गुणों वाले बुल हरियाणा के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों में भी सीमन प्रोडक्शन के लिए भेजे जाते हैं। उच्च गुणवत्ता के जर्मप्लाज्मा की आपूर्ति के लिए प्रदेश में 10 सीमन बैंक बनाए गये हैं।

  हरियाणा में मुर्राह भैंसों और हरियाणा, साहीवाल व बिलाही नस्ल की गायों के संरक्षण और विकास के लिए विशेष योजना चलाई जा रही है। पशुपालकों को प्रेरित करने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं भी करवाई जाती हैं। सबसे अधिक दूध देने वाली मुर्राह भैंसों और देसी गायों पर पशुपालकों को 5 से 30 हजार रुपये तक का इनाम दिया जाता है। इस योजना के तहत पिछले साल हरियाणा में उम्दा नस्ल की 1126 मुर्राह भैंसों और 1852 गायों की पहचान की गई थी। हिसार स्थित सरकारी पशुधन फार्म पर 511 मुर्राह भैंसों, 364 हरियाणा, 781 साहीवाल और 189 थारपारकर नस्ल की गायों को श्रेष्ठ गुणवत्ता के जर्म प्लाज्मा उत्पादन के लिए रखा गया है। वहां से अच्छी नस्ल के सांडों को ब्रीडिंग के लिए विभिन्न ग्राम पंचायतों को उपलब्ध कराया जाता है।  

  पशुओं की नस्ल में जेनेटिक सुधार के लिए कृत्रिम गर्भाधान एक कारगर तकनीक है। पशुपालन विभाग में उपनिदेशक डॉ. सुखदेव राठी बताते हैं कि हरियाणा सरकार के सभी पशु चिकित्सा संस्थानों और किसानों के दरवाजे तक कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा उपलब्ध है। प्रदेश में तीन अत्याधुनिक सीमन प्रोडक्शन सेंटर हिसार, गुरुग्राम और जगाधरी में है। राज्य की जरूरतों को पूरा करने के अलावा इन केंद्रों से कई राष्ट्रीय संस्थानों और पड़ोसी राज्यों को भी फ्रोजन सीमन की आपूर्ति होती है। हरियाणा के तीनों सीमन प्रोडक्शन सेंटरों पर 2023-24 में फ्रोजन सीमन की 38.57 लाख डोज का उत्पादन हुआ था।   

  बेसहारा गौवंश पर अंकुश लगाने और गायों में बछिया ही पैदा करने के लिए सेक्स सोर्टेड सीमन के इस्तेमाल में भी हरियाणा देश में अग्रणी है। पिछले साल हरियाणा में सेक्स सोर्टेड सीमन की कुल 2.50 लाख डोज खरीदी गई थीं। सेक्स सोर्टेड सीमन को पशुपालकों को रियायती दरों पर मुहैया कराया जाता है। विभाग राज्य के पशुधन के अनुवांशिक सुधार हेतु भ्रूण स्थानांतरण तकनीक-इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (ईटीटी-आईवीएफ) तकनीक भी लागू कर रहा है।

हरियाणा पशुधन विकास बोर्ड

  साल 2001 में स्थापित हरियाणा पशुधन विकास बोर्ड (एचएलडीबी) ने पिछले 23 वर्षों में पशुओं में नस्ल सुधार और डेयरी सेक्टर के विकास में उललेखनीय योगदान दिया है। एचएलडीबी का मुख्य फोकस दुधारू पशुओं में नस्लों का आनुवंशिक सुधार, जमीनी स्तर पर प्रजनन बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, योजनाओं और धन आदि के कार्यान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकार के बीच सहायक के रूप में कार्य करना शामिल है। एचएलडीबी हिसार, जगाधरी और गुरुग्राम में तीन आधुनिक सीमन प्रोडक्शन केंद्रों का प्रबंधन कर रहा है। फ्रोजन सीमन के माध्यम से पशु प्रजनन की प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए तरल नाइट्रोजन के माध्यम से कोल्ड चेन का बुनियादी ढांचा तैयार किया गया है और प्रजनन इनपुट में उपयोग किए जाने वाली सामग्रियों की भी आपूर्ति की जाती है। वर्तमान में इन सीमन स्टेशनों पर 180 से अधिक उत्कृष्ट मुर्राह भैंसे रखे जा रहे हैं, जिन्हें विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा वंशावली प्रदर्शन, रोग परीक्षण, आनुवंशिक और फेनोटाइपिक मूल्यांकन के कठोर चयन मानदंडों के माध्यम से चुना गया है। बोर्ड 3400 एकड़ भूमि पर फैले तीन सरकारी पशुधन फार्म का प्रबंधन भी कर रहा है। बोर्ड केंद्र सरकार की ओर से भेड़, बकरी और सुअर प्रजनन फार्म स्थापित करने, चारा संरक्षण और प्रबंधन की स्थापना में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए भी कार्य करता है।

  एचएलडीबी राज्य के मवेशियों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने और उन्नत प्रजनन जैव प्रौद्योगिकी जैसे कि समीन की सेक्स सॉर्टिंग और इन विट्रो भ्रूण उत्पादन के माध्यम से मवेशियों की मादा आबादी को बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री कंवर पाल का कहना है कि हरियाणा की पशुपालन के क्षेत्र में पूरे देश में अलग पहचान है। यह इस क्षेत्र में हुए उल्लेखनीय कार्यों का परिणाम है। पिछले पांच वर्षों के दौरान देसी गायों का औसत प्रतिदिन दूध उत्पादन 6.16 किलोग्राम से बढ़कर 7.06 किलोग्राम हो गया है, इसी प्रकार मुर्राह भैंसों का औसत प्रतिदिन दूध उत्पादन भी 9.33 किलोग्राम से बढ़कर 10.53 किलोग्राम हो गया है। हरियाणा में पशुपालन एवं डेयरी विभाग 2929 संस्थानों के सुव्यवस्थित नेटवर्क के माध्यम से राज्य की 19.29 लाख गौवंश, 43.68 लाख भैंस सहित कुल 71.26 लाख की पशुधन आबादी को गुणवत्तापूर्ण पशुचिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहा है।  

हाईटेक और मिनी डेयरी योजना

  हरियाणा में बेरोजगार युवाओं को 4, 10, 20 या 50 पशुओं की डेयरी शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। यानी अगर किसान दो गाय और दो भैंसों की डेयरी भी शुरू करना चाहता है तो उसे सब्सिडी मिलेगी। पशुपालन विभाग 4 व 10 दुधारू पशुओं (भैंस, गाय) की डेयरी स्थापित के लिए 25 प्रतिशत सब्सिडी देता है। इसी प्रकार, 20 व 50 दुधारू पशुओं की डेयरी पर ब्याज की सब्सिडी देने का प्रावधान दिया गया है। 20 और 50 पशुओं की डेयरी शुरू करने के लिए कर्ज पर ब्याज छूट दी जाती है।

अनुसूचित जाति के लिए पशुपालन योजना

  हरियाणा में अनुसूचित जाति के लगभग 44 फीसदी परिवार आजीविका के लिए पशुपालन पर निर्भर हैं जो प्रदेश के लगभग 21 फीसदी पशुधन का पालन करते हैं। हरियाणा में अनुसूचित जाति के व्यक्तियों के लिए पशुपालन से जुड़ी एक विशेष योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत 2/3 दुधारू पशुओं की डेयरी, पिगरी (10 मादा, 1 नर) यूनिट तथा भेड़/बकरी (15 मादा, 1 नर) पालन के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। दो-तीन पशुओं की डेयरी और पिग फार्मिंग यूनिट के लिए 50 फीसदी सब्सिडी मिलती है जबकि भेड़ या बकरी पालन के लिए 90 फीसदी सब्सिडी दी जा रही है। इस योजना के तहत वर्ष 2024-25 में 40 करोड़ रुपये के बजट के साथ 2400 दो या तीन पशुओं की डेयरी, पिगरी यूनिट और भेड़ बकरी यूनिट स्थापित कराने का लक्ष्य रखा गया है। छोटी डेयरी और लाइवस्टॉक यूनिट के लिए अनुसूचित जाति के लाभार्थियों को प्रोत्साहन देने की यह योजना काफी कारगर साबित हो रही है।

बेसहारा गौवंश मुक्त अभियान

  5 अगस्त को हरियाणा के पंचकूला में आयोजित गौसेवा सम्मेलन में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्रदेश में गौवंश और गौशालाओं के लिए कई घोषणाएं की थी। अब प्रदेश में नई गौशाला के लिए जमीन खरीदने पर कोई स्टाम्प डयूटी नहीं लगेगी। साथ ही बेसहारा गोवंश को गौशाला में लाने के लिए 600 रुपये प्रति गाय और 800 रूपये प्रति नंदी की दर से तुरंत नकद भुगतान किया जा रहा है। गौशालाओं के लिए बिजली की दर को दो रुपये यूनिट कर दिया गया है।     

  बेसहारा गौवंश को सड़कों पर न भटकना पड़े इसके लिए हरियाणा सरकार बेसहारा गौवंश पुर्नवास अभियान चला रही है। इस साल जनवरी से जुलाई तक करीब 25 हजार से अधिक बेसहारा गौवंश को गौशालाओं में पहुंचाया गया है। गौशालाओं में लाए गये बेसहारा गौवंश में से बछड़ा/बछड़ी के लिए 20 रुपये, गाय के लिए 30 रुपये तथा बैल या सांड के लिए 40 रुपये प्रतिदिन चारे के लिए अनुदान दिया जा रहा है। इसके अलावा बेसहारा गौवंश लेने वाली गौशाला को प्रत्येक गौवंश के लिए 7000 रुपये की एकमुश्त अनुदान राशि भी दी जा रही है। पंचगव्य आधारित उत्पादों के विकास और अनुसंधान के लिए पंचकूला में हरियाणा गौवंश अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई है।

गौशालाओं को कई रियायतें 

  हरियाणा गौसेवा आयोग के अध्यक्ष श्रवण गर्ग ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 675 पंजीकृत गौशालाएं हैं, जिसमें 4.50 लाख गौवंश है। गौसेवा सम्मेलन में उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने गौशालाओं से जुड़ी मांगों को रखा, जिनमें से अधिकांश मांगें मान ली गई हैं। हरियाणा में पंजीकृत 675 गौशालाओं में से 331 गौशालाओं में सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित किये जा चुके हैं। सौर ऊर्जा प्लांट के लिए गौसेवा आयोग की तरफ से 5 प्रतिशत और हरेडा की तरफ से 85 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। इसके अलावा भी गौशालाओं को कई तरह की अनुमति लेने से छूट दी गई है। पशुपालन एवं डेयरी मंत्री कंवर पाल ने सम्मेलन में कहा कि प्रदेश सरकार ने गौसेवा आयोग के बजट को 40 करोड़ रूपये से बढ़ाकर 510 करोड़ रुपये कर दिया है। गौशालाओं के लिए राज्य सरकार कई कदम उठा रही है जो पूरे देश के लिए उदाहरण बन रहे हैं।


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